जबलपुर हाई कोर्ट ने NEET UG MBBS प्रवेश प्रक्रिया में अपनाया गए आरक्षण के फार्मूले के खिलाफ दाखिल हुई जनहित याचिका पर सुनवाई की है। इसके परिणामस्वरूप, मध्य प्रदेश शासन को एक नोटिस जारी करके उत्तर प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। NEET UG MBBS प्रवेश में अनारक्षित वर्ग के कट ऑफ को 397 और ओबीसी के कट ऑफ को 463 किया गया था।
NEET UG कैंडिडेट्स श्री सूर्यकांत लोधी और अजय प्रताप सिंह ने मध्य प्रदेश में NEET के बाद मेडिकल सीटों के आवंटन के लिए अपनाया गया आरक्षण फार्मूला पर चुनौती दी है, जिसकी सुनवाई मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जनहित याचिका क्रमांक 24757/2023 (PIL) के माध्यम से हुई है। इस याचिका का लीगल समर्थन ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा प्रदान किया जा रहा है। याचिका की प्रारंभिक सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा द्वारा की गई है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया की मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 मे मध्य प्रदेश विधान सभा द्वारा 14/7/23 को संशोधन करके ओबीसी की 51% आबादी को दृष्टिगत रखते हुए 27% आरक्षण लागु किया गया है तथा दिनांक 10/5/2023 को मध्य प्रदेश शासन द्वारा शासकीय स्कूल मे कक्षा 6 से 12 तक अध्ययन करने वाले छात्रों को 5% NEET MBBS मे प्रवेश हेतु होरीजोंटल आरक्षण लागू किया गया।
हालांकि काउंसलिंग के दौरान, प्राधिकारियों ने प्रारंभ में आरक्षित सीटों की बजाय अनारक्षित सीटों का आवंटन किया, जिसके परिणामस्वरूप आरक्षित वर्ग के सभी प्रतिभागी अपने वर्ग में ही चयन किए जाने के कारण, ओबीसी के कट ऑफ 463 अंक और अनारक्षित वर्ग के 397 अंक निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा, गोवर्नमेंट सेलफिनांस की सीटों को अवैध तरीके से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को आवंटित कर दिया गया है।